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Showing posts from July, 2020

How to propose a girl in funny way in Hindi?

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How to propose a girl in funny way in Hindi? यह सब तरीके बस मनोरंजन के लिए शेयर किए हुए हैं।  प्रपोज करने के लिए बस कुछ मजेदार तरीके ………… बाकी  इन तरीकों का इस्तेमाल जिम्मेदारी पर करें। 1. लड़का - अगर भविष्य में मेरा लड़का तुम्हारी  लड़की को छेड़ेगा तो तुम क्या करोगी?? लड़की - में तुम्हारे लड़के की पिटाई करूंगी। लड़का - क्यूं ना हम मिलके दोनों को भाई बहन बना दें। 2. लड़का - तुम सबसे ज्यादा प्यार किस्से करती हो? लड़की - माता पिता से। लड़का - चलो हम व माता पिता बन जाते है ।  3. लड़का - तुम रोने की तयारी करलो। लड़की - क्यों? लड़का - में बहुत जल्दी तेरे घर बारात लेके आऊंगा।  4. लड़का  - तुम्हारे घर में कोन कोन है? लड़की - माता, पिता, भाई, बहन और तुम्हारे घर पर ?? लड़का - में, तुम्हारी सास, ससुर और देवर। 5. लड़का - तुम्हे खाना बनाना आता है? लड़की - नहीं। लड़का - जल्दी से सीखलो वरना हमारे बच्चे बुखे मर जाएंगे।  6. लड़का - बोलो खट्टी चटनी। लड़की - खट्टी चटनी। लड़का - अज्ज से हम पती पत्नी।  7. लड़का - सुनो लड़की - क्या? लड़का - क्या तुम मेरे बच्चों को मां कहने का मोका दोगी? 8. लड़का - सुनो  लड

7 LIFE LESSONS WE LEARNED FROM THE COVID-19 OUTBREAK- LOGISTICS TODAY

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7 LIFE LESSONS WE LEARNED FROM THE COVID-19 OUTBREAK- LOGISTICS TODAY 1. IoT और बिग डेटा का उपयोग करते हुए बेहतर निगरानी  हम वास्तविक समय में एक महामारी में डेटा की शक्ति देखते हैं।  इस अनुभव से हमें जो सबक मिल रहे हैं, वे सूचित करेंगे कि कैसे हम इंटरनेट की चीजों और प्रौद्योगिकी के बड़े डेटा का उपयोग करके भविष्य की महामारियों की निगरानी करते हैं।  राष्ट्रीय या वैश्विक एप्लिकेशन बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में परिणाम कर सकते हैं क्योंकि वे रिपोर्ट कर सकते हैं और ट्रैक कर सकते हैं कि कौन प्रकोप के लक्षण दिखा रहा है।  जीपीएस डेटा का उपयोग तब ट्रैक किया जा सकता है जहां लोगों को उजागर किया गया है और जिन्हें उन्होंने छूत दिखाने के लिए बातचीत की है।  इनमें से किसी भी प्रयास को किसी व्यक्ति की गोपनीयता को सुरक्षित रखने और डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है, लेकिन भविष्य के महामारियों की अधिक प्रभावी निगरानी और निपटने के लिए भारी लाभ प्रदान करते हैं।  ‎  2. एआई-सक्षम ड्रग डेवलपमेंट  हम जितनी तेजी से COVID-19 और भविष्य के वायरस से बचाव के लिए एक

CHANGES AFTER COVID-19 ON INTERFACES, INTERACTIONS AND DIGITAL INFRASTRUCTURE

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जैसे-जैसे COVID-19 की लहर दुनिया भर में फैल रही है, यह मानव जाति को हमारे काम करने और जीने के तरीके को नया करने और बदलने के लिए मजबूर कर रही है।  अब हम अपने आप को जहां पाते हैं, उसका उल्टा यह है कि COVID-19 से दुनिया में बड़ी कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्ति और नियम अधिक लचीले होंगे। आइए जानते है कि COVID-19 के ख़तम होने तक हमारे मेल झोल, बातचीत और डिजिटल इंफ्रस्ट्रक्चर किस तरह प्रभवित हो सकते है। 1. अधिक संपर्क रहित मेल झोल और बातचीत  बहुत समय पहले ऐसा समय नहीं था जब हम टच स्क्रीन से प्रभावित थे और वे सभी हम करने में सक्षम थे।  COVID-19 ने हममें से अधिकांश को ऐसी हर सतह से अवगत कराया है जो बीमारी का संचार कर सकती है, इसलिए COVID-19 की दुनिया में, यह उम्मीद की जाती है कि हमारे पास कम टच स्क्रीन और अधिक वॉयस इंटरफेस और मशीन विज़न इंटरफेस होंगे।  महामारी से पहले, हमने मोबाइल उपकरणों के माध्यम से संपर्क रहित भुगतान विकल्पों का रोलआउट देखा।  हालांकि, जो लोग स्पर्श करते हैं, उन्हें सीमित करने की इच्छा के साथ, वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान करने का एक विकल्प जिसमें किसी भी शारीरिक संपर्क की आ

"Kalap Vigreh" Aging idol (Sculpture that Increase Age)

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"कल्प विग्रह" "कल्प विग्रह" दुनिया की सबसे पुरानी मूर्ति। यह पोस्ट भारतीय प्राचीनता की संस्कृति पर उंगली उठाने वालो पर करारा तमाचा होगी। इस मूर्ति की उम्र 28450 साल है। 1959 में यह तिब्बत में एक बौद्ध भिक्षु के पास से अमेरिका  सैनिक ने जब्त की थी। बौद्ध भिक्षु ने बताया कि यह मूर्ति बहुत महत्वपूर्ण है। यह द्वापर युग की है इसकी पूजा अर्चना बहुत आवश्यक है। अमेरिकन सैनिक ने इस बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए इसे भारत के गुप्त देश से होते हुए अमेरिका भेज दिया गया। जहां इसे कॉलराडो के सैन्य कैंप में रखा गया। इस मूर्ति का वजन 47.10 ग्राम और माप 5.7*4.7 सेमी है। इसे एक असाधारण लकड़ी के बॉक्स से प्राप्त किया गया था और इसके साथ कुछ पांडुलिपियां भी थी। अमेरिका को उस पांडुलिपियों का अनुवाद भारतीय और नेपाली संस्कृति विद्वानों से करने में 2 वर्ष लगे क्योंकि वे बहुत गुढ़ थे। और गहन अध्ययन के बाद इसका नाम मालूम हुआ  "कल्प - महा - आयुष्य - रसायन - विग्रह" जैसे कि नाम से है स्पष्ट होता है कि यह मूर्ति आयु बड़ा सकती थी। और बौद्ध भिक्षु ने भी कहा था कि यह मूर्ति 9 दिन पानी मे

Truth of Caste System (Part-l)

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 विचार करने का विषय है कि सभी मनुष्यों को प्रकृति ने एक समान बनाया है। सभी मनुष्यों को बुद्धि एक समान दी है शरीर एक समान दिया है, फिर यह अलग अलग जाती वा भर्गो में कैसे बंट गए। किस तर्क के आधार पर मनुष्यों का विभाजन हुआ। आईए वेदों के माध्यम से जानने का प्रयत्न करें  जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् भवेत् द्विजः | वेद-पाठात् भवेत् विप्रः ब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः | अतार्थ जन्म से मनुष्य शुद्र, संस्कार से द्विज (ब्रह्मण), वेद के पठान-पाठन से विप्र (विद्वान्)और जो ब्रह्म (ज्ञान और विज्ञान) जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है | ब्राह्मण का स्वभाव शमोदमस्तपः शौचम् क्षांतिरार्जवमेव च | ज्ञानम् विज्ञानमास्तिक्यम् ब्रह्मकर्म स्वभावजम् || चित्त पर नियन्त्रण, इन्द्रियों पर नियन्त्रण, शुचिता, धैर्य, सरलता, एकाग्रता तथा ज्ञान-विज्ञान में विश्वास | वस्तुतः ब्राह्मण को जन्म से शूद्र कहा है । यहाँ ब्राह्मण को क्रियासे बताया है । ब्रह्म का ज्ञान जरुरी है । केवल ब्राहमण के वहा पैदा होने से ब्राह्मण नहीं होता । ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परन्तप। कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः॥ [भगवद गीता अध्याय

Formation of Solar System According to Nebular Hypothesis (Part - 2)

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सौर मंडल का गठन कैसे किया गया था?  - नेबुलर हाइपोथिसिस  अनादि काल से, मनुष्य इस उत्तर की खोज में रहे हैं कि ब्रह्मांड कैसे आया।  हालांकि, वैज्ञानिक क्रांति के साथ, यह केवल पिछली कुछ शताब्दियों के भीतर रहा है, कि प्रमुख सिद्धांत प्रकृति में अनुभवजन्य रहे हैं।  यह इस समय के दौरान था, 16 वीं से 18 वीं शताब्दी तक, खगोलविदों और भौतिकविदों ने हमारे सूर्य, ग्रहों और ब्रह्मांड के बारे में साक्ष्य-आधारित स्पष्टीकरण तैयार करना शुरू किया।  जब यह हमारे सौर मंडल के गठन की बात आती है, तो सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत दृश्य को नेबुलर हाइपोथीसिस के रूप में जाना जाता है।  संक्षेप में, यह सिद्धांत बताता है कि सूर्य, ग्रह, और सौर मंडल में अन्य सभी वस्तुओं का निर्माण अरबों साल पहले नेबुलस सामग्री से हुआ था।  मूल रूप से सौर मंडल की उत्पत्ति की व्याख्या करने का प्रस्ताव, यह सिद्धांत व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि सभी स्टार सिस्टम कैसे बने।  नेबुलर परिकल्पना:  इस सिद्धांत के अनुसार, सूर्य और हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह आणविक गैस और धूल के विशाल बादल के रूप में शुरू हुए।  फिर, लगभग 4.57 बिलियन साल पहले,

Possibility of Another Earth (Part-1)

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क्या ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी के जैसे और पृथ्वी हो सकती है? भले ही यह खयाल किसी साइंस फिक्शन मूवी के जैसा लगता हो, परन्तु हम इस बात को कभी नहीं नकार सकते कि ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी के जैसे ओर पृथ्वी नहीं है।चलिए तथ्यों के आधार पर इसे साबित करते है। इसके लिए पहले हमें अपनी पृथ्वी को अच्छे से जानने की जरूरत है । पृथ्वी कोनसे तत्वों से बनी है, अगर अपने साइंस पड़ी है तो आपको पता होगा अभी तक पृथ्वी पर 118 तत्वों की खोज हुई है।  अगर अपने कभी जानने की कोशिश की होगी तो या नी भी करी होगी तो जानने पर यही पता चलेगा कि जो भी तत्व पृथ्वी पर पाए जाते है वे सभी तत्व पृथ्वी पर नहीं बने है। यह सारे तत्व तारों के कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन नामक प्रिक्रिया से बनते है।सबसे पहले, तारे हाइड्रोजन परमाणुओं को हीलियम में फ्यूज करते हैं। हीलियम परमाणु तब बेरिलियम बनाने के लिए फ्यूज करता है, और इसी तरह, जब तक कि तारे के कोर में संलयन लोहे को अपंग नहीं बनाता है।तब तक यह सारे तत्व फ्यूज होते जाते है। ब्रह्माण्ड में ग्रहों और सौर मण्डल का निर्माण कैसे होता है इसके लिए बहुत सी थियोरी दी गई है जिनके बारे में आपक