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Formation of Solar System According to Nebular Hypothesis (Part - 2)

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सौर मंडल का गठन कैसे किया गया था?  - नेबुलर हाइपोथिसिस  अनादि काल से, मनुष्य इस उत्तर की खोज में रहे हैं कि ब्रह्मांड कैसे आया।  हालांकि, वैज्ञानिक क्रांति के साथ, यह केवल पिछली कुछ शताब्दियों के भीतर रहा है, कि प्रमुख सिद्धांत प्रकृति में अनुभवजन्य रहे हैं।  यह इस समय के दौरान था, 16 वीं से 18 वीं शताब्दी तक, खगोलविदों और भौतिकविदों ने हमारे सूर्य, ग्रहों और ब्रह्मांड के बारे में साक्ष्य-आधारित स्पष्टीकरण तैयार करना शुरू किया।  जब यह हमारे सौर मंडल के गठन की बात आती है, तो सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत दृश्य को नेबुलर हाइपोथीसिस के रूप में जाना जाता है।  संक्षेप में, यह सिद्धांत बताता है कि सूर्य, ग्रह, और सौर मंडल में अन्य सभी वस्तुओं का निर्माण अरबों साल पहले नेबुलस सामग्री से हुआ था।  मूल रूप से सौर मंडल की उत्पत्ति की व्याख्या करने का प्रस्ताव, यह सिद्धांत व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि सभी स्टार सिस्टम कैसे बने।  नेबुलर परिकल्पना:  इस सिद्धांत के अनुसार, सूर्य और हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह आणविक गैस और धूल के विशाल बादल के रूप में शुरू हुए।  फिर, लगभग 4.57 बिलियन साल पहले,

Possibility of Another Earth (Part-1)

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क्या ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी के जैसे और पृथ्वी हो सकती है? भले ही यह खयाल किसी साइंस फिक्शन मूवी के जैसा लगता हो, परन्तु हम इस बात को कभी नहीं नकार सकते कि ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी के जैसे ओर पृथ्वी नहीं है।चलिए तथ्यों के आधार पर इसे साबित करते है। इसके लिए पहले हमें अपनी पृथ्वी को अच्छे से जानने की जरूरत है । पृथ्वी कोनसे तत्वों से बनी है, अगर अपने साइंस पड़ी है तो आपको पता होगा अभी तक पृथ्वी पर 118 तत्वों की खोज हुई है।  अगर अपने कभी जानने की कोशिश की होगी तो या नी भी करी होगी तो जानने पर यही पता चलेगा कि जो भी तत्व पृथ्वी पर पाए जाते है वे सभी तत्व पृथ्वी पर नहीं बने है। यह सारे तत्व तारों के कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन नामक प्रिक्रिया से बनते है।सबसे पहले, तारे हाइड्रोजन परमाणुओं को हीलियम में फ्यूज करते हैं। हीलियम परमाणु तब बेरिलियम बनाने के लिए फ्यूज करता है, और इसी तरह, जब तक कि तारे के कोर में संलयन लोहे को अपंग नहीं बनाता है।तब तक यह सारे तत्व फ्यूज होते जाते है। ब्रह्माण्ड में ग्रहों और सौर मण्डल का निर्माण कैसे होता है इसके लिए बहुत सी थियोरी दी गई है जिनके बारे में आपक

Forty Questions Related To Rebirth With Answers..

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प्र1:- पुनर्जन्म किसको कहते हैं ? उत्तर :- जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं । (2) प्रश्न :- पुनर्जन्म क्यों होता है ? उत्तर :- जब एक जन्म के अच्छे बुरे कर्मों के फल अधुरे रह जाते हैं तो उनको भोगने के लिए दूसरे जन्म आवश्यक हैं । (3) प्रश्न :- अच्छे बुरे कर्मों का फल एक ही जन्म में क्यों नहीं मिल जाता ? एक में ही सब निपट जाये तो कितना अच्छा हो ? उत्तर :- नहीं जब एक जन्म में कर्मों का फल शेष रह जाए तो उसे भोगने के लिए दूसरे जन्म अपेक्षित होते हैं । (4) प्रश्न :- पुनर्जन्म को कैसे समझा जा सकता है ? उत्तर :- पुनर्जन्म को समझने के लिए जीवन और मृत्यु को समझना आवश्यक है । और जीवन मृत्यु को समझने के लिए शरीर को समझना आवश्यक है । (5) प्रश्न :- शरीर के बारे में समझाएँ ? उत्तर :- हमारे शरीर को निर्माण प्रकृति से हुआ है । जिसमें मूल प्रकृति ( सत्व रजस और तमस ) से प्रथम बुद्धि तत्व का निर्माण हुआ है । बुद्धि से अहंकार ( बुद्धि का आभामण्डल ) । अहंकार से पांच ज्ञानेन्द्रियाँ ( चक्षु, जिह्वा, नासिका, त्वचा, श्रोत्र ),

Only Sanatan teaches Unity and humanity

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मुस्लिम कहते है शुक्रवार पवित्र है।  ईसाई कहते है रविवार पवित्र है  यहूदी कहते है शनिवार पवित्र है...  बस यही एक दूसरे को समझाने में इन तीनो ने करोडो बेगुनाहों का खून बहा डाला। तीनो एक ही जगह से निकले...मगर एक दूसरे की बात न मानकर तीनो को अपना अपना दल बनाना था फिर उस पर आध्यात्म का चोला ओढाना था। सो तीनो के निर्माताओं ने अपना अपना धर्म बनाया।। तीनो आसमानी किताबो का दावा करते है ।  जबकिं सनातन धर्म कहता है हर दिन पवित्र है।  रविवार सूर्य का  सोमवार शिव का  मंगलवार बजरंग बली का  बुधवार गणेश का  गुरुवार लक्ष्मी का  शुक्रवार देवी दुर्गा का  शनिवार शनि देव का....  फिर यहूदी,ईसाई और मुस्लिम ने एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए अपने अपने दिन के अलावा पवित्र महीने भी बना डाले... रमज़ान दिसंबर इत्यादि महीने बना मारे...  जबकिं हिन्दुओ में सभी महीने पवित्र है... चैत्र से लेकर फागुन तक हर माह पवित्र.... चाहे मलमास हो या सावन का महीना...चाहे मार्गशीर्ष हो या दामोदर मास...या पुरुषोत्तम मास...या नवरात्रि वाला चैत्र... 12 के 12 महीने पवित्र  शुक्र है ग्रह नक्षत्र इत्यादि का ज्ञान अब्राहमिक पन्थो अर्थात यह

Refreshment of mind during covid 19

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कोविड-19 का समय प्रतेक व्यक्ति के लिए बहुत ही दुखद और चिन्ता का विषय है। प्रत्येक व्यक्ति अपने आज और आने वाले कल के लिए चिन्तित है। दूसरी ओर बच्चों पर भी इसका गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है । स्कूल, खेल कूद, मित्रों अधी से दूर होकर घर में बंद रहने के कारण चिड़चिड़ापन और गुस्से के शिकार होते जारे है । जिसकी वज़ह से उनके दिमाग पे बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ रहा है ।   यदि स्कूल आवश्यक उपायों के हिस्से के रूप में बंद हो गए हैं, तो बच्चों के पास अब उस माहौल और संरचना की भावना नहीं होगी जो उस वातावरण द्वारा प्रदान की जाती है, और अब उनके पास अपने दोस्तों के साथ रहने और उस सामाजिक समर्थन को प्राप्त करने का अवसर कम है जो कि इनकी मानसिक तन्दरूस्ती के लिए बहुत ही आवश्यक है। हम COVID-19 महामारी के दौरान सकारात्मकता कैसे रह सकते है..........................…............…. 1. घर के कामों में मदद करे, अपने अपको व्यस्त रखे। 2. संगीत सुनने, टेलीविजन पर मनोरंजक कार्यक्रम देखने से नकारात्मक भावनाओं से खुद को विचलित करें। 3. यदि आपके पास पेंटिंग, बागवानी या सिलाई जैसे पुराने शौक हैं, तो उनके पास वापस जाएं। 

Reason behind the Peace and Happiness that we feel during visit religious places

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आज में जिस विषय पर अपने विचार रखने जारा हूं वे है कि जब भी किसी धार्मिक स्थान या दिव्य आत्मा से सम्बन्धित किसी वी जगह पे जाते है तो हमें बहुत ही शांति अनुभव होती है। चलिए इसके पीछे छुपे हुए कारण जानने की कोशिश करते हैं। जैसे कि हम जानते है कि जो हमारा शरीर हा यह नश्वर हा और जो हमारी आत्मा है वह अमर है। हमारी मृत्यु के पश्चात वह इसी वातावरण में रह जाती है जिसमें हम रहते है । आत्मा भी दो प्रकार की होती है सकारात्मक और नकारात्मक आत्माएं । जो ज्ञानी और योगी लोग होते थे जिनको हम अपने आदर्श और भगवान केहके मानते और पूजा करते है उन्होंने ज्ञान और योग विद्या से अपनी सभी इन्द्रियों को वश में कर लिया था ।  जीवन और मृत्यु क्या है इन सब का ज्ञान प्राप्त कर लिया था । तबी इन्होंने कभी किसी निर्दोष व्यक्ति को हानि नहीं पहुंचाई। और लोगों को इंसानियत का पाठ सिखाया । लोभ, लालच, क्रोध, ईर्षा रखने वाली आत्माएं भी इनके पास से ज्ञान प्राप्त करके सकारातमक हो जाती थी । हम सिर्फ नकारात्मक शकियों से घिरे रहते हैं जिनका कारण लोभ, लालच, ईर्षा, क्रोध, स्वार्थ है। यही कारण है कि जब हम धार्मिक स्थानों अधी पे जाते है